हाँ, हम ऋषियों की सन्तान हैं।



अपनी स्पष्टवक्ता के लिए विद्वान् सांसद श्री डॉक्टर सत्यपाल सिंह जी भूरिशः बधाई व धन्यवाद।

शोक है कि विज्ञान के नाम पर अनेक अंधविश्वास भी आज संपूर्ण विश्व में पनप रहे हैं। विज्ञान की मान्यताएं निरंतर परिवर्तित हो रही हैं, पुनरपि उन्हें कट्टरता से पकड़े रहना बौद्धिक दासता के अतिरिक्त और क्या हैं? डार्विन के विरोध में देश विदेश के अनेक वैज्ञानिकों द्वारा भी बहुत कुछ लिखा हुआ होने पर भी बंदर आदि जानवरों का वंशज होने पर कोई गर्व करें, तो वह स्वतंत्र है। हमें तो महान् प्रज्ञापुरूषों के वंशज होने पर गर्व है। कभी ऐसे अंधविश्वासियों की बुद्धि को भी यथार्थ विज्ञान अवश्य होगा कि वे हमारी भाँति महान् प्रज्ञापुरूष ऋषियों के वंशज हैं। इससे उनमें पावन प्रेरणा जगेगी, भला पशुओं का वंशज होने से कोई क्या प्रेरणा ले सकता है?

-आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक

No comments:

Recent post

गणतन्त्र दिवस की सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ प्यारे देशवासियो! यह दिवस नाच-गान का दिन नहीं, बल्कि आत्मचिंतन का दिन है। क्या हम आ...