सेना व देश के विरुद्ध षड्यन्त्र




आज कुछ लोग मोदी जी के साथ-साथ अपनी ही अपनी ही सेना को गाली दे रहे हैं, उस पर अविश्वास कर रहे हैं, तो कोई उसका उपहास कर रहे हैं। ऐसे लोग अत्यन्त नीच व कृतघ्न हैं। जो सेना बर्फ में, तीव्र धूप में, गोलों व गोलियों की बौछार में अपने प्राण हथेली पर रख कर हमारी रक्षा करती है, उसके साथ यह दुर्व्यवहार शत्रुदेश के लोग ही कर सकते हैं, अपने देश के नहीं। क्या ऐसे पापी देशद्रोहियों को सेना के ही हवाले नहीं कर देना चाहिए? जिससे सेना उन्हें भी आतंकवादियों की भाँति सबक सिखा सके। क्या लोकतन्त्र में किसी को मनमानी करने वा बोलने की छूट होनी चाहिए? क्या ऐसे लोगों को मृत्युदण्ड जैसे कठोर दण्ड देने के लिए अध्यादेश नहीं लाना चाहिए? यदि ऐसा नहीं किया गया, तो ये लोग भारत-पाकिस्तान के मध्य युद्ध की स्थिति में पाक सेना का ही साथ देंगे। इस कारण इन पर नियन्त्रण करना समय की सर्वोच्च आवश्यकता है। भारत के इतिहास में विपक्षी नेताओं ने ऐसा पाप पहले कभी नहीं किया। यदि इस पाप को नहीं रोका गया, तो देश हार जायेगा, मिट जायेगा। प्यारे देशवासियो! सोचो, आप क्या ऐसे नेताओं को अपना नेता मानेंगे? क्या पाकिस्तान को जिताओगे और अपने ही भारत को मिटाओगे? बोलो! अपना भविष्य नष्ट करके भी क्या अपनी नेताभक्ति व पार्टीभक्ति का त्याग नहीं करोगे? यदि ऐसा नहीं करोगे, तो फिर आपको खून के आँसू बहाने के अतिरिक्त कुछ नहीं मिलेगा।

अब यह बात भी समझ में आ रही है कि अपनी ही वायु सेना के स्ट्राइक से परेशान ये नेता क्यों राफेल जैसे विध्वंसक विमान को खरीदनें में बाधा डाल रहे हैं। वे हर तरह से हमारी सेना को कमजोर कर देश को नष्ट करना चाहते हैं। कोई तो है, जो इन्हें इसके बदले कुछ दे रहा है। क्यों इन नेताओं को पाकिस्तान प्रिय और भारत अप्रिय हो गया है? क्यों ये भारत में रहकर, भारत का खाकर भारत के शत्रुओं के एजेण्ट बन गये हैं? क्या इन्हें भारत में रहने का अधिकार हैं? सभी देशवासियों का कर्तव्य है कि ऐसे नेता, चाहे वे अपने निकट सम्बंधी ही क्यों न हों, उन्हें अपने गाँव और नगरों में घुसने ही न दिया जाए।

✍️ आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक

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