Sunday, February 10, 2019

वसन्त पंचमी एवं हकीकत बलिदान दिवस


वसन्त पंचमी पर्व की सभी को हार्दिक शुभ कामना तथा बलिदानी बाल हकीकत के बलिदान दिवस पर उनको हार्दिक नमन।
इस अवसर पर सभी देशवासियों से विनम्र निवेदन है कि वे अपने जीवन में 12 वर्षीय बाल हकीकत के बलिदान से प्रेरणा लें। जिस बालक ने कट्टरपंथी मुस्लिम काल में अनेक लोभ व फांसी की धमकी के सम्मुख न झुकते हुए सिर कटाना स्वीकार किया परन्तु धर्म को छोड़ना स्वीकार नहीं किया। इस अवसर पर अपनी रोती हुई माता के यह कहने कि मुस्लिम बन कर ही अपने जीवन को बचा ले, को विनम्रतापूर्वक अस्वीकार करके मृत्यु का हंसकर वरण कर लिया।
मेरे देशवासियो! इधर आप हैं, जो देश व धर्म के प्रति अपने कर्त्तव्य को भूलते जा रहे हैं, आज लोभ के वशीभूत हमारे अनेक राजनेता, कथित बुद्धिजीवी, कथित मानवाधिकारवादी, कथित सामाजिक कार्यकर्त्ता, शिक्षित युवा पीढ़ी अपने स्वार्थवश देश के टुकड़े करने का पूर्ण प्रयास कर रहे हैं। तभी तो वीर हकीकत जैसे बलिदानी बच्चों के इस अभागे देश में स्वयं को बड़ा मानने वाले पाकिस्तान से प्रेम व भारत से घृणा करते हैं, भारत के टुकड़े करने के नारे देते अथवा नारे लगाने वालों को प्रोत्साहन देते हैं, आतंकवादियों के महिमा-मण्डित करते वा कराते, देश के महापुरुषों को नीचा दिखाते अथवा उन्हें कल्पित बताते, पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाते, भारत माता की जय व वन्दे मातरम् का विरोध करते, सेना, न्यायालय, चुनाव आयोग, जाँच एजेंसियों को बदनाम करते हैं। क्या ऐसी राजनीति के लिए ही क्रान्तिकारियों ने अपना खून बहाया था?
इधर अपने देशवासियों का चरित्र भी इतना गिर चुका है कि ऐसे लोगों को भी नेता मानने के लिए तैयार हैं। उन्हें कर्जमाफी, आरक्षण, रोजगार आदि के मिथ्या नारों, वादों से कोई भी खरीद सकता है। आज यदि हाफिज सईद भी इस देश में आकर ऐसे वादे कर दे, तो यह जनता उसे भी देश वा प्रदेशों का नेता मान सकती है।
ओह! देशवासियो! क्या आज वीर हकीकत का आत्मा आपको नहीं धिक्कारता होगा? क्या आप अपने चरित्र पर थोड़ा सा विचार करेंगे अथवा पारस्परिक फूट, विघटन व दासता का खेल स्वार्थी लोग यूं ही खेलते रहेंगे? क्या भ्रष्ट मीरजाफरों की टोली फिर से देश को किसी देश के अधीन बनाने में सफल हो जायेंगी?

स्मरण रखो...
यदि देश मर गया, तो फिर जीवित कौन रहेगा?
और जीवित भी रहा तो, उसे जीवित कौन कहेगा?

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